Bloating After Dal Chawal: क्या आप भी दाल-चावल खाने के बाद होते हैं सूजन के शिकार? जानिए कारण और आसान उपाय

Bloating After Dal Chawal
Bloating After Dal Chawal

Bloating After Dal Chawal दाल-चावल भारतीय भोजन का एक आधारभूत हिस्सा है, पर कई लोगों के पेट में खाने के बाद यह गैस या सूजन का कारण बनता है। यह लेख इस समस्या का कारण समझने और उसका समाधान खोजने में आपकी मदद करेगा।

Bloating After Dal Chawal: दाल-चावल और गैस: क्या है संबंध?

दाल और कुछ प्रकार के चावलों में जटिल कार्बोहाइड्रेट जैसे, रैफिनोज़ और स्टेकीओज पाए जाते हैं। ये मनुष्यों के पाचन तंत्र में पूरी तरह से नहीं पचते। जब ये आंतों में पहुँचते हैं तो आंतों में उपस्थित बैक्टटीरिया इन शर्करा का किण्वन कर देते हैं जिसके परिणामस्वरूप गैस बनती है। यही गैस पेट में सूजन या ब्लोटिंग का कारण बनती है।

सभी पर एक जैसा असर क्यों नहीं?

Bloating After Dal Chawal
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आंत में मौजूद बैक्टटीरिया हर व्यक्ति के लिए अलग होते हैं। इस वजह से कुछ लोग बड़ी आसानी से जटिल कार्बोहाइड्रेट पचा लेते हैं, जब कि कुछ को अधिक गैस बनने की तकलीफ होती है। जो लोग नियमित रूप से दाल-चावल जैसा भोजन करते हैं, उनके आंतों में उन खास शर्करा को तोड़ने वाले बैक्टीरिया अधिक मात्रा में होते हैं। इसलिए दाल-चावल खाने के बाद इन्हें कम परेशानी होती है।

अन्य कारण जो इस समस्या को बढ़ा सकते हैं

  • तेज़ी से खाना: दाल-चावल खाने के साथ अगर आपने हवा भी निगल ली है, जो तेज़ी से खाने पर हो सकता है, तो यह समस्या और भी बढ़ सकती है।
  • अधिक मात्रा: यदि आपने आवश्यकता से अधिक दाल-चावल खा लिया है, तब भी आपका पाचन तंत्र इन्हें पचाने के लिए संघर्ष कर सकता है।
  • पाचन की अन्य समस्याएं इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी अन्य आंत की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को दाल-चावल हजम करने में ज़्यादा कठिनाई हो सकती है।

समस्या से निपटने के आसान तरीके

क्या आपको दाल-चावल खाने के बाद सूजन या गैस की तकलीफ का सामना करना पड़ता है? इन उपायों को आज़मा कर पाचन को बेहतर बनाएं:

Bloating After Dal Chawal
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  • भिगो कर पकाएं: अनाज और दाल को पकाने से पहले कई घंटों के लिए भिगोना एक प्राचीन भारतीय तरीका है, जो उनकी पाचनशीलता को बढ़ाने में सहायक है।
  • अंकुरण: अंकुरित दाल और अनाज पचाने में आसान होते हैं क्योंकि भीगने की क्रिया से ये जटिल कार्बोहाइड्रेट टूटने शुरू कर देते हैं।
  • प्रोबायोटिक्स लें : प्रोबायोटिक्स आंतों में पाए जाने वाले “अच्छे” बैक्टीरिया हैं। दही जैसे प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स या फिर किसी प्रतिष्ठित कंपनी से ली गई प्रोबायोटिक की गोली भी खाना पाचन के लिए मददगार हो सकती है।
  • अदरक और हींग जैसे पाचक मसालों का इस्तेमाल करें: पारंपरिक भारतीय खाना इन मसालों का विशेष प्रयोग करता है, और इनकी पाचन को बेहतर करने की क्षमता वैज्ञानिक तौर पर भी प्रमाणित है।
  • छोटे हिस्सों में भोजन करें: एक साथ अधिक खा लेने से पाचन पर ज़्यादा भार होता है। बेहतर है कि आप थोड़ा-थोड़ा कर कई बार खाएं।
  • काफ़ी पानी पियें: पूरे दिन में पानी या अन्य तरल पदार्थों का सेवन पाचन के लिए महत्वपूर्ण है। इससे मल का निर्माण भी बेहतर होता है।

चिकित्सक को कब दिखाएं?

अक्सर सूजन या गैस का बनना चिंता का विषय नहीं होता है और आसान उपायों द्वारा इन्हें ठीक किया जा सकता है। हालांकि, यदि इन स्थितियों में डॉक्टर से परामर्श ज़रूरी है:

  • अगर सूजन के साथ तेज दर्द और बेचैनी हो
  • मल में खून या बलगम आये
  • वजन घटना या भूख कम लगना
  • जी मिचलाना या उल्टी आना

ये लक्षण किसी गंभीर पाचन समस्याा या अन्य रोग की ओर संकेत कर सकते हैं।

स्वस्थ आहार में रखें संतुलन

अपने प्रिय भोजन दाल-चावल का त्याग करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन संतुलित आहार लेना याद रखें। फलों, सब्जियों, साबुत अनाजों और प्रोटीन के अन्य स्रोतों को भी अपने भोजन में शामिल करें।

दाल-चावल जैसे उच्च कार्बोहाइड्रेट व ले भोजन के साथ यदि मात्रा में हल्के पकवान जैसे कि सलाद, सादी सब्जीियां, पतली दाल आदि का आनंद लें।

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